Wednesday, January 29, 2020

Saturn transit to 12th bhava

Jivattama (Psyche)

decided need for privacy, solitude, capacity of putting loss & enjoyments into context, Desire to supplant (limitation) with boundless freedom, participated in deep practice of self discovery, ability to use resources for public good, capacity to create social welfare institution, self undoing (tripping over yourself)

Vritti (Behavior)

Charitable, Philanthropic, self sacrificing, spritual, meditative, transcending, abstinent, moderate, isolated, decany, sensual, hiddinstic (indulge in worldly things), profligate (big expensive in all ways), secretive

Samsara (Environment)

Retreat center, hospital, welfare, agency, prison, mystique, philanththropist, social worker, retirement, immigration (long stay in foreign land), toxicant, exploitation, secret sore, heavy expenditure, Asharam

Saturn Transit to Bhava 8

Saturn Gochara impacts at three levels


Jivatma
Vritti
Samsara

Saturn Transit to the 8th bhava

Jivatma:

Process of survival, Personal epic struggle, dynamic tension between do's & don'ts (this is addictive house), capacity for self suppression & repression by non self (by others), contrasting the finite of life & death, living & dying, potential for legacy, ability & interest in esoteric art & science.

Vritti (Behavior):

Deep asoteric/old soul sublimated, transformed, transfigured, transf..., inventive, eccentric hardball, secretive, scandal ridden, tormented, traumatizing, trann…, buf..

Samsara:

Death, illness, accident, surgery, therapy, trauma, guilt, Taxes, inheritance, occult, Jyotisha, Ayurvedic, accupenture, ancient civilization, archeology, Research, detective work, taboos.


Notes:

If 8th lord is lagna, transit of Saturn over the 8th house, it will be a great deal as it is 8th away from 8th.

Andrew James Breitbart (/ˈbrtbɑːrt/; February 1, 1969 – March 1, 2012) was an American conservative journalist,[1] writer and commentator.  He died during Saturn Libra transit in 2012.
On the night of February 29, 2012, Breitbart collapsed suddenly while walking in Brentwood. He was rushed to Ronald Reagan UCLA Medical Center, where he was pronounced dead just after midnight, March 1, 2012.[45][46][47] He was 43 years old. An autopsy by the Los Angeles County Coroner's Office showed that he had hypertrophic cardiomyopathy, with focal coronary atherosclerosis,[48] and died of a heart attack.

Born:Saturday, February 1, 1969, 8:59 AM
In:Los Angeles (CA) (United States)

General tit bits

कुंंडली फल कथन करने से पूर्व ध्यान रखने योग्य बातें:-

(अगर ज्योतिषी इन तथ्यों को फलित में मे उपयोग करें... तो सटीक फलादेश होगा।)

1. किसी भी ग्रह की महादशा में उसी ग्रह की अन्तर्दशा अनुकूल फल नहीं देती।

2. योगकारक ग्रह की महादशा में पापी या मारक ग्रह की अन्तर्दशा आने पर प्रारंभ में शुभ फल तथा उत्तरार्द्ध में अशुभ फल देने लगता है।

3. अकारक ग्रह की महादशा में कारक ग्रह की अन्तर्दशा आने पर प्रारंभ में अशुभ तथा उत्तरार्द्ध में शुभ फल की प्राप्ति होती है।

4. भाग्य स्थान का स्वामी यदि भाग्य भाव में बैठा हो और उस पर गुरु की दृष्टि हो तो ऐसा व्यक्ति प्रबल भाग्यशाली माना जाता है।

5. लग्न का स्वामी सूर्य के साथ बैठकर विशेष अनुकूल रहता है।

6. सूर्य के समीप निम्न अंशों तक जाने पर ग्रह अस्त हो जाते हैं, (चन्द्र-१२ अंश, मंगल-१७ अंश, बुध-१३ अंश, गुरु-११ अंश, शुक्र-९ अंश, शनि-१५ अंश) फलस्वरूप ऐसे ग्रहों का फल शून्य होता है। अस्त ग्रह जिन भावों के अधिपति होते हैं उन भावों का फल शून्य ही समझना चाहिए।

7. सूर्य उच्च का होकर यदि ग्यारहवें भाव में बैठा हो तो ऐसे व्यक्ति अत्यंत प्रभावशाली तथा पूर्ण प्रसिद्धि प्राप्त व्यक्तित्व होता है।

8. सूर्य और चन्द्र को छोड़कर यदि कोई ग्रह अपनी राशि में बैठा हो तो वह अपनी दूसरी राशि के प्रभाव को बहुत अधिक बढ़ा देता है।

9. किसी भी भाव में जो ग्रह बैठा है, इसकी अपेक्षा जो ग्रह उस भाव को देख रहा होता है, उसका प्रभाव ज़्यादा रहता है।

10. जिन भावों में शुभ ग्रह बैठे हों या जिन भावों पर शुभ ग्रहों की दृष्टि हो तो वे भाव शुभ फल देने में सहायक होते हैं।

11. एक ग्रह दो भावों का अधिपति होता है। ऐसी स्थिति में वह ग्रह अपनी दशा में लग्न से गिनने पर जो राशि पहले आएगी उसका फल वह पहले प्रदान करेगा।

12. दो केन्द्रों का स्वामी ग्रह यदि त्रिकोण के स्वामी के साथ बैठे हैं तो उसे केंद्रत्व दोष नहीं लगता और वह शुभ फल देने में सहायक हो

जाता है। सामान्य नियमों के अनुसार यदि कोई ग्रह दो केंद्र भावों का स्वामी होता है तो वह अशुभ फल देने लग जाता है चाहे वह जन्म-कुंडली में करक ग्रह ही क्यों न हो।

13. अपने भाव से केन्द्र व त्रिकोण में पड़ा हुआ ग्रह शुभ होता है।

14. केंद्र के स्वामी तथा त्रिकोण के स्वामी के संबंध हो तो वे एक दूसरे की दशा में शुभ फल देते हैं। यदि संबंध न हो तो एक की महादशा में जब दूसरे की अंतर्दशा आती है तो अशुभ फल ही प्राप्त होता है।

15. वक्री होने पर ग्रह अधिक बलवान हो जाता है तथा वह ग्रह जन्म-कुंडली में जिस भाव का स्वामी है, उस भाव को विशेष फल प्रदान करता है।

16. यदि भावाधिपति उच्च, मूल त्रिकोणी, स्वक्षेत्री अथवा मित्रक्षेत्री हो तो शुभफल करता है।

17. यदि केन्द्र का स्वामी त्रिकोण में बैठा हो या त्रिकोण केंद्र में हो तो वह ग्रह अत्यन्त ही श्रेष्ठ फल देने में समर्थ होता है। जन्म-कुंडली में पहला, पाँचवा तथा नवाँ भाव त्रिकोण स्थान कहलाते हैं। परन्तु कोई ग्रह त्रिकोण में बैठकर केंद्र के स्वामी के साथ संबंध स्थापित करता है तो वह न्यून योगकारक ही माना जाता है।

18. त्रिक स्थान (कुंडली के ३, ६, ११वे भाव को त्रिक स्थान कहते हैं) में यदि शुभ ग्रह बैठे हो तो त्रिक स्थान को शुभ फल देते हैं परन्तु स्वयं दूषित हो जाते हैं और अपनी शुभता खो देते हैं।

19. यदि त्रिक स्थान में पाप ग्रह बैठे हों तो त्रिक भावों को पापयुक्त बना देते हैं पर वे ग्रह स्वयं शुभ रहते हैं और अपनी दशा में शुभ फल देते हैं।

20. चाहे अशुभ या पाप ग्रह ही हो, पर यदि वह त्रिकोण भाव में या त्रिकोण भाव का स्वामी होता है तो उसमे शुभता आ जाती है।

21. एक ही त्रिकोण का स्वामी यदि दूसरे त्रिकोण भाव में बैठा हो तो उसकी शुभता समाप्त हो जाती है और वह विपरीत फल देते है। जैसे पंचम भाव का स्वामी नवम भाव में हो तो संतान से संबंधित परेशानी रहती है या संतान योग्य नहीं होती।

22. यदि एक ही ग्रह जन्म-कुंडली में दो केंद्र स्थानों का स्वामी हो तो शुभ फलदायक नहीं रहता। जन्म-कुंडली में पहला, चौथा, सातवाँ तथा दसवां भाव केन्द्र स्थान कहलाते हैं।

23. शनि और राहु विछेदात्मक ग्रह हैं अतः ये दोनों ग्रह जिस भाव में भी होंगे संबंधित फल में विच्छेद करेंगे जैसे अगर ये ग्रह सप्तम भाव में हों तो पत्नी से विछेद रहता है। यदि पुत्र भाव में हों तो पुत्र-सुख में न्यूनता रहती है।

24. राहू या केतू जिस भाव में बैठते हैं उस भाव की राशि के स्वामी समान बन जाते हैं तथा जिस ग्रह के साथ बैठते हैं, उस ग्रह के गुण ग्रहण कर लेते हैं।

25. केतु जिस ग्रह के साथ बैठ जाता है उस ग्रह के प्रभाव को बहुत अधिक बड़ा देता है।

26. लग्न का स्वामी जिस भाव में भी बैठा होता है उस भाव को वह विशेष फल देता है तथा उस भाव की वृद्धि करता है।

27. लग्न से तीसरे स्थान पर पापी ग्रह शुभ प्रभाव करता है लेकिन शुभ ग्रह हो तो मध्यम फल मिलता है।

28. तीसरे, छठे और ग्यारहवें भाव में पापी ग्रहों का रहना शुभ माना जाता जाता है।

29. तीसरे भाव का स्वामी तीसरे में, छठे भाव का स्वामी छठे में या ग्यारहवें भाव का स्वामी ग्यारहवें भाव में बैठा हो तो ऐसे ग्रह पापी नहीं रहते अपितु शुभ फल देने लग जाते हैं।

30. चौथे भाव में यदि अकेला शनि हो तो उस व्यक्ति की वृद्धावस्था अत्यंत दुःखमय व्यतीत होती है।

31. यदि मंगल चौथे, सातवें , दसवें भाव में से किसी भी एक भाव में हो तो ऐसे व्यक्ति का गृहस्थ जीवन दुःखमय होता है। पिता से कुछ भी सहायता नहीं मिल पाती और जीवन में भाग्यहीन बना रहता है।

32. यदि चौथे भाव का स्वामी पाँचवे भाव में हो और पाँचवें भाव का स्वामी चौथे भाव में हो तो विशेष फलदायक होता है। इसी प्रकार नवम भाव का स्वामी दशम भाव में बैठा हो तथा दशम भाव का स्वामी नवम भाव में बैठा हो तो विशेष अनुकूलता देने में समर्थ होता है।

33. अकेला गुरु यदि पंचम भाव में हो तो संतान से न्यून सुख प्राप्त होता है या प्रथम पुत्र से मतभेद रहते हैं।

34. जिस भाव की जो राशि होती है उस राशि के स्वामी ग्रह को उस भाव का अधिपति या भावेश कहा जाता है। छठे, आठवें और बारहवें भाव के स्वामी जिन भावों में रहते हैं, उनको बिगाड़ते हैं, किन्तु अपवाद रूप में यदि यह स्वगृही ग्रह हों तो अनिष्ट फल नहीं करते, क्योंकि स्वगृही ग्रह का फल शुभ होता है।

35. छठे भाव का स्वामी जिस भाव में भी बैठेगा, उस भाव में परेशानियाँ रहेगी। उदहारण के लिए छठे भाव का स्वामी यदि आय भाव में हो तो वह व्यक्ति जितना परिश्रम करेगा उतनी आय उसको प्राप्त नहीं सकेगी।

36.यदि सप्तम भाव में अकेला शुक्र हो तो उस व्यक्ति का गृहस्थ जीवन सुखमय नहीं रहता और पति-पत्नी में परस्पर अनबन बनी रहती है।

37. अष्टम भाव का स्वामी जहाँ भी बैठेगा उस भाव को कमजोर करेगा।

38. शनि यदि अष्टम भाव में हो तो उस व्यक्ति की आयु लम्बी होती है।

39. अष्टम भाव में प्रत्येक ग्रह कमजोर होता है परन्तु सूर्य या चन्द्रमा अष्टम भाव में हो तो कमजोर नहीं

रहते।

40. आठवें और बारहवें भाव में सभी ग्रह अनिष्टप्रद होते हैं, लेकिन बारहवें घर में शुक्र इसका अपवाद है क्योंकि शुक्र भोग का ग्रह है बारहवां भाव भोग का स्थान है। यदि शुक्र बारहवें भाव में हो तो ऐसा व्यक्ति अतुलनीय धनवान एवं प्रसिद्ध व्यक्ति होता है।

41. द्वादश भाव का स्वामी जिस भाव में भी बैठता है, उस भाव को हानि पहुँचाता है।

42. दशम भाव में सूर्य और मंगल स्वतः ही बलवान माने गए हैं, इसी प्रकार चतुर्थ भाव में चन्द्र और शुक्र, लग्न में बुध तथा गुरु और सप्तम भाव में शनि स्वतः ही बलवान हो जाते हैं तथा विशेष फल देने में सहायक होते हैं।

43.ग्यारहवें भाव में सभी ग्रह अच्छा फल करते हैं।

44. अपने स्वामी ग्रह से दृष्ट, युत या शुभ ग्रह से दृष्ट भाव बलवान होता है।

45. किस भाव का स्वामी कहाँ स्थित है तथा उस भाव के स्वामी का क्या फल है, यह भी देख लेना चाहिए। यदि कोई ग्रह जिस राशि में है उसी नवमांश में भी हो तो वह वर्गोत्तम ग्रह कहलाता है और ऐसा ग्रह पूर्णतया बलवान माना जाता है तथा श्रेष्ठ फल देने में सहायक होता है।

Tuesday, January 28, 2020

Saturn transit to the 6th bhva

Saturn Gochara impacts at three levels


Jivatma
Vritti
Samsara

Saturn Transit to the 6th bhava

Jivatma:

overcoming opponents, 
ability to recuperate, process of enduring discomfort or not, dealing with self imposed or other imposed stress, 
ability to develop a sustain obligatory routine
Capacity to depend on or accept the help of others
How one uses their core/manner of using core (abb/lower back)

Vritti (behavior)

Tough, competitive, insurmountable, well placed, well rehearsed, healthy, untouring, resilient

Greedy, challenging, combatitive, cranky, floppy, careless, unhealthy

Environment

Debts, loan, mortgage, health, accidents, fast, enemies, lawsuits, servants, employee, routine care, routine work, arduous exercise, strenuous sports, aunts & uncles

Note:
If the 6th lord in lagna, transit of Saturn in 6th will be a big deal as it is 6th from 6th

Saturn Transit Principles

Om Sanaiscaryaya  Namaha


Salutation to the slow walker

When you walk with sani, you walk on the path of dharma

In best of time worship Sani

On Saturday, make sure that you are on best of behavior as Sani is dharam raj. He grabs you by neck & brings you back to the reality. He is a naisergic (natural) pap grah.

Navagrahs are leading us to the path of moksha, sometimes the path is rockly and sometimes the path is smooth, as we are on earth loka, we have both punya and papa.

If we are fragile or have a bloated ego, you get churned by Saturn.

If you know Saturn, you know the chart.

You better adjust to the reality or reality will adjust you.
Having goal is not a problem, what the problem is the attachemnt to the goal. That is I'll be happy when the certain goals are achieved.

Saturn Gochara impacts at three levels


Jivatma
Vritti
Samsara

Jivatma is human being; Saturn's part of the job is to remind us of the 'being part", 

Vritti refers to fluctuation of the mind, rising from past imprint of life and shows in person's behavior and personality. Our behavior is the way the Saturn will impact.

Samsara is the environment

Gochara is the Dynamic interaction between Pshyce, behavior and environment. when it is cold outside how do we react to that.

Saturn's instincts:

Stratgy
Planning 
Security
Survival
Simplification
Self Perservation

Which way these themes will go? The question is where they are on the scale.

Beware of soggy ground
under the inevitable strides of the mighty slowwalker

*When the ground of a particular bhava is soggy, Saturn can fall
* if handicap access, he can smoothly walk

* Rashi is a mulch and
*Grah is the farmer that plaughs the bhava

Some points of emphasis:

  • when a Saturn is transiting a bhava & aspecting the lord of the bhava, it is emphasizing the bhava
  • when Saturn is transiting the bhava and lord is there
  • Saturn aspect a bhava and its lord
  • Saturn transiting or aspecting its own natal position
    • Saturn is recreating through the lense of transit
  •  The principle of triplicity
    • Saturn brings in experience from previous Bhava into the current bhava
    • it is strategy by looking into the next bhava
We need to draw in current dasha & bhukti and bring in the transiting bhava




Saturn transit for Gemni

जय माँ भवानी🚩🙏

लग्नानुसार शनि का मकर राशि में गोचर का प्रभाव एवं उपाय

*मिथुन लग्न*

मिथुन लग्न वालों के लिए भी शनि उनका भाग्य स्वामी ही है जो अब स्वराशि होकर #अष्टम भाव में गोचर करेगा।

 जहां से वह दशम भाव ,द्वितीय भाव और पंचम भाव को देखेगा और इन भावों को प्रभावित करते हुए अच्छे बुरे दोनों प्रकार के फल देगा।

 जो लोग किसी विषय पर गहन #अध्ययन कर रहे हैं यां #ज्योतिष जैसी गूढ़ विद्याओं में लगे हैं मिथुन लग्न के उन लोगों के लिए यह समय बहुत कुछ #सिखने का रहेगा और वह आपने शोधकार्य में और सलंग्न होंगे।

जो लोग अध्यात्म में लगे हैं योग साधना करते हैं उनके लिए भी यह शनि अच्छा मौका देने वाला है।

🕴️ परंतु करियर के तौर पर शनि मिथुन लग्न वालों के लिए बार-बार बाधाएं भी दे सकता है क्योंकि अपने स्वभाव अनुसार #कार्यक्षेत्र के लिए यह आपसे अधिक मेहनत की उम्मीद करेगा और अधिक मेहनत करवा कर यह लाभ देने की इच्छा रखेगा ।

🏃🏃तो यदि आप पिछले काफी समय से बहुत मेहनत कर रहे थे तो आपको यह शनि लाभ देगा और साथ ही कुछ नया काम भी आप से #शुरू करवाएगा ।

मतलब अभी ढाई साल यह शनि पूरी तरह से आराम करने का मौका आपको नहीं देगा पर कुछ नया सीखने और करने का मौका भी देगा जिस से आगे चल के आपको #लाभ मिलेगा।

💰 अगर काफी समय से कोई #पैसा आपका फंसा हुआ है तो उसे निकालने के प्रयास अब बढ़ाएं तो मिलने के #रास्ते बनेंगे पर इसके लिए शांति और समझदारी से भी चलते रहना होगा।

यह ध्यान रखिए कि भाग्य स्वामी अष्टम से गोचर कर रहा है जो की पूरी तरह अच्छा भी हम नहीं कह सकते पर यदि आप शनि ग्रह के नियमों के अनुसार चल रहे हैं तो इसका लाभ ले सकते हैं

 तो  उपाय के तौर पर सबसे पहले तो #झूठ से दूर रहें और आलस से बचें।

#ईमानदारी से मेहनत करें तो आगे मिथुन लग्न वालों को यह शनि लाभ भी देगा ।

📿शनि की अनुकूलता के लिए मिथुन लग्न वाले लोग #शनि मंत्र का #जप करें।

✨ हर शनिवार पीपल के वृक्ष के नीचे दीपक जलाएं ।

गरीबों की सेवा और सहायता करें ।

🌿जब परेशानी लग रही हो या कार्यों में  #बाधाएं बन रही हो तो यह लोग हर सोमवार बेल पत्र पर रोली चंदन से ओम् नमः शिवाय लिखकर #शिवलिंग पर अर्पित करें और मृत्युंजय मंत्र का जप करते रहें।
जय माँ 🙏🚩

Deepti Sharma

Monday, January 27, 2020

saturn transit for Libra

जय माँ भवानी 🙏🚩

लग्नानुसार शनि के  #मकर राशि में #गोचर का प्रभाव एवं उपाय

*तुला लग्न*

#तुला लग्न के लिए शनि #योगाकारक ग्रह है तो सबसे पहले तो लग्नानुसार यह देखा जाएगा कि शनि यदि सही स्थिति में हो तो तुला लग्न को बहुत शुभफलदायी होता है।

अभी यहाँ शनि चतुर्थ और  पंचम भाव का स्वामी है और मकर में आकर यह चतुर्थ भाव से गोचर करेगा जो आपनी ही राशि भी है तो प्रभावी होकर यह शनि षष्ठ भाव दशम भाव और लग्न को देखेगा।

यहाँ यह तुला लग्न वाले यह बात बिल्कुल #स्पष्ट समझ लें कि यदि कुंडली में शनि आपका पहले से #अच्छा है तो इस गोचर में आपको बहुत #लाभ देने वाला है।

तुला में चतुर्थ भाव स्वामी तो शनि पहले से ही कारक हैं तो यदि दशा का भी सहयोग मिल जाए तो जिनकी आपना घर ,प्रोपर्टी लेने का प्रयास काफी समय से चल रहा था पर सफलता नहीं मिल पा रही थी।
🏘️वह लोग अब नए सिरे से प्रयास करें।शनि के #सहयोग से अब लोन लेना भी आसान होगा और आपना #मकान भी आप लोग ले पाएंगे।

यहाँ चतुर्थ भाव से शनि सीधा दशम भाव को देख रहे हैं तो जो लोग व्यापार करते हैं यां जिस भी कार्य में है उनका #कार्यक्षेत्र तो इस गोचर से प्रभावित होगा ही.....
यदि शनि कुंडली में भी लग्न का यां चतुर्थ का है उन्हें इस समय में कुछ नए कार्य बन सकते हैं कोई नया प्रोजेक्ट ये लोग शुरू कर सकते हैं और उस से लाभ ले सकते हैं।

जिन लोगों का #व्यापार है वह लोग थोड़ा ध्यान देकर चलें क्योंकि उन्हें थोड़ी दिक्कत का सामना इस से करना पड़ सकता है और आपने #कर्मचारियों से भी परेशानी उठानी पड़ाती है।

तुला लग्न के जो लोग #राजनीति में हैं उनके लिए यह समय अच्छा जाने वाला है जनता का सहयोग इस समय उन्हें मिलेगा और जिन लोगों की कुंडली में कहीं शनि मकर के यां उच्च के यां स्वराशि हों वह लोग अब इन दो ढाई वर्षों में आपना वर्चस्व स्थापित कर पाएंगे।
 बस इन्हें ध्यान रखना है कि किसी का अपमान न करें और न किसी को छोटा समझें।बिना #अहंकार के यह कार्य करेंगे तो ही शनि इन्हें सहयोग देगा।

😎अब लग्न को और आपनी उच्च राशि को देखते हुए शनि ग्रह आपके व्यक्तित्व को निखारने की कोशिश करेगा और #मेहनत भी काफी करवाएगा ।यदि आप शनि के इस स्वभाव को समझ लें और कर्म करने कुछ तैयार है तो इस से पूरा लाभ लेंगें।

🏃🏃वैसे भी पिछला कुछ समय तो आप लोगों का आराम से टिक कर काम करने का रहा ही नहीं है।धनु के शनि ने आपका #बेवजह की यात्राओं में यां कामों में काफी समय खराब किया है।
परंतु तब से अगर आप मेहनत से कर्म में लगे रहे हैं तो अब उन #पिछले अटके कार्यों में लाभ मिलेगा। यात्राएं तो शनि देव इसके लिए अभी भी करवाएंगे। परंतु अब लाभ की स्थिति भी यात्राओं से देंगे।

चतुर्थ भाव में #कालपुरुष कुंडली अनुसार शनि का गोचर कहीं न कहीं माँ के स्वास्थ्य को लेकर चिंताएं दे सकता है।स्वयं पर  भी आप नवंबर तक कुछ मानसिक तनाव और दबाव सा महसूस कर सकते हैं।इसके लिए बताए गए उपाय करने से राहत मिलेगी।

यदि शनि की स्थिति कहीं भी कुंडली में #कमजोर है तो इसे बल देने का पूर्ण प्रयास करें ताकि आप अच्छे समय का सदुपयोग कर सकें क्योंकि ज्यादातर मामलों में यह सहयोग देने वाला है खासकर पिछले अटके हुए कार्य आपके अब बनेंगे।

अगर नौकरी नहीं तो वह भी अब मिलने का योग बनेगा।

📿यदि कोर्ट #कचहरी का कोई मामला आपका लंबे समय से अटका हुआ है जिस कारण आप काफी परेशान हैं  तो 41 दिन लगातार नंगे पांव शिव मंदिर जाएं और जल में काले तिल डाल कर शिवलिंग पर अभिषेक करें और शिवजी के सामने घी का दीपक जलाएं और शिवमंत्र का हर रोज बराबर संख्या में (11 यां 21 माला यां ज्यादा) जप करें।
इस से आपकी समस्या का छुटकारा होगा।

और जिनके पास नौकरी नहीं है उनको मिलने के योग बनेंगे।

बाकि उपाय के तौर पर तुला वाले लोग

📿गरीब जरूरतमंद की सहायता करें।

📿गरीब बूढ़ी स्त्रियों में दूध का दान हर सोमवार करें ।

📿आपने ईष्ट देव का नाम जप करते रहें।

जय माँ 🚩🙏

 Deepti Sharma Astrologer Palmist

Saturn transit for Scorpio

जय माँ भवानी 🚩🙏

लग्नानुसार शनि का मकर राशि में गोचर का #प्रभाव एवं #उपाय

*वृश्चिक लग्न* 

अब बात करते हैं #वृश्चिक लग्न पर शनि के गोचर की।
सबसे पहले यह समझ लें कि वृश्चिक लग्न के लिए शनि शत्रु ग्रह है पर फिर भी आप देखेंगे की लग्न स्वामी #मंगल शनि की राशि मकर में उच्च का होता है तो कहीं ना कहीं यह दिखाता है कि #मेहनत करने वाले इंसान के लिए शनि का #संबंध सहयोग ही लाता है चाहे विलंब भले हो जाए ।

जहां मंगल है कर्म करने के लिए ऊर्जा और जोश  वही शनि है #कर्म  सिद्धांत तो आप इसे सीधा सीधा समझे कि यदि व्यक्ति कर्मशील है मेहनती है अपने कर्म के प्रति #ईमानदार है तो उसके लिए शनि सहायक होते हैं 
और जब तक कुंडली में शनि बहुत कमजोर होने पर व्यक्ति झूठ और बेईमानी के साथ चलने वाला न हो तब तक शनि उसके लिए सहयोगी ही रहेंगे ।

अब यहां पर हम देखते हैं कि वृश्चिक लग्न के लिए शनि तीसरे और चौथे भाव का स्वामी है तो इस से यह व्यक्ति के #बाहुबल का पराक्रम का और चतुर्थ भाव संपत्ति वाहन माता और जनता के सहयोग का हुआ।

तो इन्हीं भावों से संबंधित फलों में प्रभाव ज्यादा आएगा तो सबसे पहली बात कुंडली में शनि की स्थिति यदि अच्छी है और कहीं शनि उनका यहाँ स्वराशि का होकर बैठा है तो उनके लिए यह समय कार्यक्षमता को बढ़ाने का रहेगा।आपने कर्मक्षेत्र में आप अधिक सक्रिय होंगे।

पाप ग्रह का तृतीय भाव से गोचर शुभ परिणाम देने वाला होता है और अब शनि पाप ग्रह होकर तृतीय से स्वराशि होकर गोचरीय है तो इस भाव के बल को बढ़ाएगा।

तो सबसे पहले यह समझ लें कि यदि आप कर्मवीर हैं आलस को हावी नहीं होने देते ।अनुशासित दिनचर्या रखते हैं तो आपको इस गोचर पर केवल बताए गए उपाय के साथ चलना है फिर आपको #लाभ मिलेगा ।

और शनि की नकारात्मक लक्षण जैसे झूठ बोलना, आपनी जिम्मेदारी से भागना, दूसरों के साथ छल करना आप पर हावी हैं तो आपको इन कार्यों में समस्याओं का सामना करना पड़ेगा।

जहाँ यह भाव.स्थान परिवर्तन का है वहीं यात्राओं का भी है तो किसी प्रकार से स्थान #परिवर्तन का भी योग हो सकता है आपको आपने नौकरी में बदलाव करना पड़ सकते हैं यां आपने कार्य के लिए ही यात्राओं पर जाना पड़ सकता है।

इस पर आप देखेंगे कि यहाँ से यह शनि नवम भाव जो कि आपका #भाग्य भाव है उसे सीधा दृष्टि से प्रभावित कर रहा है और कर्क राशि भी प्रभावित हो रही है इसलिए आपने नैसर्गिक स्वभाव के कारण कहीं न कहीं यह कार्यों में देरी दे सकता है।मन को लेकर आप बहुत बार #उलझन में पड़ेंगे।

#शत्रु ग्रह होने कारण भी इस प्रभाव से भाग्य का साथ मिलने में आपको अभी कमी सी ही है ।
ऐसा लगेगा जैसे हर काम में बिना वजह रूकावटें यां #देरी हो रही है।

अगर ऐसी स्थिति में कहीं वृश्चिक वालों का चंद्र 🌙 कुंडली में कर्क यां वृश्चिक का हुआ यां शनि की नक्षत्र में हुआ तो आपने मनोबल का सबसे पहले ध्यान रखें ।

क्योंकि यदि शनि नुकसान करने पर आए तो मन को सबसे पहले लपेटे में लेता है तो यह वृश्चिक लग्न वालो के लिए सबसे पहला उपाय है कि चंद्र 🌝 को बल दें ।
किसी भी तरह से चंद्र पिड़ित वाले लोग इस समय को लापरवाही न बरतें।

तीसरी दृष्टि से पंचम भाव को देखते हुए यह शनि विवाहितों को संतान संबंधित भी कुछ चिंताएं दे सकता है।

👩‍💻विद्यार्थियों के भी यह समय ध्यान देकर चलने का रहेगा।शनि पंचम नवम दोनों को प्रभाव में लिए #शिक्षा संबंधित कार्यों में भी रोक लगाएगा यां आप जिस कोर्स यां क्षेत्र में आगे बढ़ना चाहते हैं उस अनुसार कार्य नहीं बनेगा यां देरी से बनेगा अथार्त #मनमाफिक क्षेत्र में चयन संबंधित समस्या आपको महसूस हो सकती है।

आप लोगों के खर्चे इस समय में बढ़ सकते हैं।

पिता के स्वास्थ्य की चिंता इस समय में बन सकती है। पिता के साथ संबंधों को लेकर भी दिक्कत हो सकती है।😥

✈️यहाँ एक सहयोगी स्थिति उन के लिए बन सकती है जिनकी जन्म कुंडली में वृश्चिक लग्न होकर #तुला राशि का शनि है और वह विदेश जाने के इच्छुक हैं और इसके लिए प्रयास में लगे हैं तो उनके लिए यह समय लाभ देगा और #विदेश यात्रा के योग बनाएगा।

🕳️वृश्चिक लग्न वालों को इस समय में शनि संबंधित दान का नियम बनाए रखना चाहिए।

🌞सूर्य उपासना नियमित रूप से करते रहें।

📿रूद्राभिषेक कराएं।

🙏🚩आप लोग किसी निकट ज्योतिर्लिंग की यात्रा भी जब संभव हो सके करें।

📿शिवलिंग का नियमित दूध ,शहद और जल से अभिषेक करें और चंदन और चावल अर्पित करें।

💍कुंडली की जांच करवाकर उचित हो तो एक उत्तम मोती धारण करें।

🕳️काले,नीले और ग्रे रंगों को अधिक प्रयोग न करें।

🔸आपने नहाने के जल में एक चुटकी हल्दी डालें।

जय माँ 🚩🙏

Deepti Sharma

Saturn transit for Virgo

जय माँ भवानी 🙏🚩

लग्नानुसार #शनि के मकर में #गोचर का प्रभाव एवं #उपाय

*कन्या लग्न*

अब हम बात करते हैं कन्या लग्न की
 #कन्या लग्न में शनि पंचम और षष्ठम भाव का स्वामी है और गोचर में यह है अब पंचम भाव में । यहां से शनि ग्रह की दृष्टि सप्तम स्थान पर , एकादश स्थान पर और #द्वितीय स्थान पर रहेगी।

 कन्या लग्न के लिए अगर देखा जाए तो शनि मित्र ग्रह है इसलिए इस लग्न के लिए बहुत से कार्य शनि को ही करने होते हैं परंतु अभी हम देखेंगे की शनि यहां स्वराशि होकर  पंचम में है और पूर्ण प्रभावी रहेगा।
वैसे तो इस लग्न के लिए शनि #त्रिकोण भाव स्वामी होके पाप ग्रह होने कारण शुभ  ही माना जाएगा परंतु यह गोचर अभी कई तरह से उलझनें देने वाला लग रहा है।पर दूजी तरफ देखें तो इसके प्रभाव की मुख्य स्थिति कुंडली में शनि के बल अनुसार निर्भर करती है।

 अभी पंचम का शनि कन्या लग्न वालों के लिए पंचम भाव को बल देने का कार्य करेगा तो यदि शुभ है तो मेहनत के बाद #शुभता भी देगा।

 पंचम भाव मुख्य तौर पर भाव  है शिक्षा का , संतान का , बुद्धि का , प्रेम संबंधों का तो अब ये भाव और सक्रिय होंगे ।

जिससे इस भाव से संबंधित मिले-जुले परिणाम मिलेंगे यदि कुंडली में शनि की स्थिति अच्छी नहीं है तो उनके लिए धन से संबंधित काफी समस्या रहने वाली है क्योंकि दूसरा भाव धन भाव और एकादश भाव आय का लाभ का भाव है।
 दोनों ही भाव से जब शनि धन को प्रभावित करने वाला है तो धन को लेकर आसानी से काम नहीं होंगे। इसलिए कन्या लग्न वालों को इस वर्ष धन के मामलों में ध्यान देने की आवश्यकता होगी ।

इसके लिए एक #सरल सा #उपाय मैं पोस्ट के अंत में उपायों में लिखूंगी।वह जरूर करें।💰💰💰

 पंचम भाव बुद्धि का भाव होने के कारण यह समय है कन्या राशि वालों के लिए अपने बुद्धि को विस्तार देने का बहुत सोच समझ कर कार्य करने का नया कुछ सीखने का।

 जो लोग विवाहित है और संतान के लिए प्रतीक्षा कर रहे हैं उन लोगों के लिए संतान के योग बनेंगे।
 जो अविवाहित है उनकी विवाह के योग भी इस गोचर से बन सकते हैं और खासकर जो लोग प्रेम विवाह करना चाहते हैं वह प्रयास करें कि इस समय में शनि संबंधित उपाय जरूर करें।

 विद्यार्थी वर्ग को खास ध्यान रखने की आवश्यकता होगी इस समय में किसी भी तरह से अपने ध्यान को भटकने ना दे क्योंकि यह समय उन्हें शिक्षा के लिए अच्छा रहने वाला है परंतु यदि वह लापरवाही बरतेंगे यां अपनी दिनचर्या को अनुशासित नहीं रखेंगे तो उन्हें काफी नुकसान होने वाला है जो बच्चे अपने नियम अनुसार नहीं चलेंगे उनको शिक्षा संबंधित परेशानियों का सामना इसमें करना पड़ेगा परंतु जो लोग नियम से चलते हैं और अपना समय अनुशासित करके रखते हैं उनके लिए नए कोर्स सीखने का समय है और अब उनकी काबिलियत भी बढ़ेगी।

जो लोग व्यापार में लगे हुए हैं वह इस समय में ध्यान देकर चले क्योंकि सप्तम भाव पर भी शनि की दृष्टि है और लाभ भाव पर भी  इसलिए अपने आय-व्यय का पूर्ण प्रबंधन करके चलें क्योंकि इनमें व्यवधान उत्पन्न हो सकते हैं यदि आप पार्टनरशिप में है तो पार्टनरशिप से संबंधित भी समस्या पैदा हो सकती है आपसी मनमुटाव होने के योग भी यह गोचर बना सकता है।

यहाँ एक बहुत जरूरी बात कन्या लग्न वालों को समझनी चाहिए कि शनि का स्वभाव है #मेहनत करवा के काबिल बनाना। इसलिए यह फल को समझते हुए सकारात्मक रहें क्योंकि जिस प्रकार अभी यह गोचर आपसे बहुत मेहनत करवाएगा पर फिर आगे आपको लाभ भी दिलाएगा ।
जिस तरह से हीरे को नरम कपड़े से पोंछते रहने से वह नहीं चमकता बल्कि उसे चोट करके ही तराशा जाता है उसी प्रकार शनि द्वारा दिया गया समय आपको काबिल बनाकर आगे लाभ कमाने योग्य बनाता है ।इसलिए #उपाय जरूर करें ताकि आपकी #सकारात्मक ऊर्जा कम न होने पाए और आपना कर्म किए जाएं ताकि यही शनि आगे आपके लिए सहयोगी होता जाए।

कन्या लग्न पर गोचर से षष्ठम भाव भी सक्रिय होगा जिस कारण से कुछ ना कुछ रोग और खासकर पेट से संबंधित समस्याएं महसूस हो सकती है ।

जिनको कमर से संबंधित दर्दों से संबंधित समस्या पहले से है वह इस समय में बहुत सावधानी रखें अपनी कमर का अपनी पीठ का खास ध्यान रखें और अपने भोजन में तली हुई चीजें कम से कम प्रयोग करें ।
इनको कोई समस्या लगते ही #चिकित्सक से सलाह करके उपचार लेना चाहिए।
 यह समय कन्या लग्न वालों के लिए पेट और कमर पेट से संबंधित किसी भी लापरवाही बरतने का नहीं है।

कन्या लग्न वालों को #धन_संबंधित_शनि_के_सहयोग के लिए एक #उपाय करना है
💰💰💰💰💰💰💰💰💰
जिसमें  इस समय से आपने आय और व्यय का एक एक हिसाब लिखनें की आदत डालें ।
 इसके लिए एक नोटबुक लगाकर सबसे ऊपर आपने #ईष्ट देव का नाम लिखें और सब लाभ और खर्चा नोट करें।
और इस सब को लिखने के लिए हरे रंग के पेन का ही प्रयोग करें ।
अब साथ में पांच #कमलगट्टे और चांदी का एक चौरस #टुकड़ा लें एक #गुलाबी रंग की छोटे कपड़े में बांध कर उसे माँ लक्ष्मी के चरणों से लगा कर नोटबुक के ऊपर रखे रहने दिया करें 
अथार्त जब जब आप उस नोटबुक का प्रयोग करें उसके बाद उसको बंद करने के बाद उसके ऊपर वह #पोटली रख दें ।इस से #धन_संबंधित_रास्ते_खुले_रहेंगे।🌷🌷🌷

दशरथ कृत श्री शनि स्त्रोत का पाठ नियमित रूप से करें।

😇गरीब और निम्न वर्ग की सहायता करें।किसी को अपमानित न करें।

📿अब से माँ लक्ष्मी जी के किसी मंत्र के जप का यां पाठ का नियम बना लें।

गुरूजनों की सेवा करें।

जय माँ 🚩🙏

Deepti Sharma Astrologer Palmist

Saturday, January 25, 2020

Saturn Transit to capricorn

SECRETS OF SATURN TRANSITS –AND YOU THOUGHT CAPRICORN WOULD BRING RELIEF?    
With Saturn transiting into Capricorn now we have to understand Saturn transits in greater detail.   Yes Saturn is happy being home in its own sign but that does totally mean he will let up on you or aspects of your life. When malefics are strong in a natal chart or transit, their aspects are more powerful to do more harm so Saturn aspecting Pisces, Cancer and Libra now and the houses that connected to them will be impacted more.
The house that Saturn goes though or aspects in transit shows us the area of your life that is being tested and which may have the most tension.  Saturn challenges you to work on this area and possibly change your behavior around this.   When Saturn creates deep problems for you, it is challenging your internal responsibility on a conscious level when you have neglected it on an unconscious level.   Pain, physical problems and problems with breakdowns in infrastructure in your life are forcing you to look at areas in your life that you have been neglecting, to face them and to change them.  Rather than be a victim, take responsibility for your problems—do not blame Saturn.
Saturn often creates losses around things that you think you need but really do not matter so let go of them like a relationship or job that is not working.  Put attention on the house that is impacted and make the changes or unpleasant forced issues will happen.
Saturn in Capricorn does not totally mean that all suffering is over.  Saturn is still like a hard-nosed high school coach or army drill sergeant that is pushing you to become a better person like that army slogan, “Be all that you can be in the Army.”   High school coaches and army sergeants are not fun but on reflection later in life we are always grateful for their guidance. Honor Saturn in this way.   He is a true friend, showing you the reality.   He will be stronger now to give better results but he will still require you to work hard but the results will come now and Jupiter in Capricorn March 29-June 29th and then in 2021 will support hard work and success also.
Saturn is particularly difficult on the emotional level when it interacts with your moon or your rising sign or your rising sign Lord.  He may create depression, sadness and physical and emotional loss but he is often giving you a wake-up call and kick in the butt to do something that you need to do.  Saturn can be remedied with exercise, yoga, meditation, discipline around food and acceptance and responsibility. These are not as fun as Venus but so necessary.
While most people know about Sade Sat (and we have written about it and its misinterpretations in detail),  Saturn can be more problematic when it  4th from the natal moon or ascendant as this can impact the mind, make it anxious and create grumbling, destroy happiness and impact your career and relationships.
Saturn transiting 8th from the moon or rising sign make be even harsher than parts of Sade Sat as it can lead to break-ups in relationship, divorce from partners and  deaths in the family.    I find that Saturn transiting through the 8th can be even more challenging then Saturn in the 1st or 2nd.
Saturn transits to the natal Sun in your chart can also be impactful and Saturn transiting over your natal Sun might signal a fall in status,  a scandal, or loss of father or father figure and Saturn going over your natal Sun can impact your health.
The Western concept of Saturn return, with Saturn going over your natal Saturn every 29.5 years usually signals wanting to restart a new career and hence many people have 3 careers in their life as Saturn makes us restless every 29.5 years to change direction around our life path.
Saturn transits also impact the Varga charts and we will have to write a special article about this.  Look at your moon the  in D-9. If it is Aries, Gemini, Libra or Capricorn, then Saturn will impact it this year and can lead to emotional depression, sadness and may impact your health.

Transit of Sani in Tauraus rashi

जय माँ भवानी🙏🚩
24 जनवरी 2020 वृष लग्न वालों के लिए सुखद बदलाव का समय.....शनि ग्रह के गुणों को अपना कर चलें तो इस ढाई वर्ष में बहुत कुछ पा जाएंगे।आप सबके लिए हृदय से मंगलकामनाएं.... शुभमस्तु 🙏🚩✨

लग्नानुसार #शनि के मकर राशि में गोचर का प्रभाव एवं उपाय

#वृष लग्न🚩

वृष वालों के लिए #शनि उनका भाग्य स्वामी है और ढाई साल बाद राशि परिवर्तन कर यह मकर में आया है तो अभी अपनी ही राशि में यह ढाई साल रहेगा ।

तो देखा जाए तो वृष लग्न वालों के लिए यह गोचर #राजयोग👑 देने वाला है जिनकी भी कुंडली में शनि की स्थिति अच्छी है उनके लिए यह समय खास 🙌 #भाग्योदय का रहेगा।

पिछले काफी समय के अटके कार्य इनके बनेंगे।
 यह लोग नए काम शुरू कर सकते हैं।

 मकर में आकर यह शनि आपके एकादश भाव को देखेंगे ,तृतीय और छठे भाव को अपनी दृष्टि प्रभाव में लेंगे।
यह भाव है आय💰 का #लाभ का जिसे प्रभावित होने से आय के नए साधन बनेंगे।

 💰धन आगमन होगा ।

जो लोग बेरोजगार चल रहे थे उनकी #नौकरी लग सकती है।

जो जॉब में है उनका प्रमोशन हो सकता है।

इस समय में जिनका व्यवसाय में काफी समय से रुकावटें चल रही थी वह हटेगी।
 इनकी मेहनत का #अच्छा परिणाम मिलने वाला यह समय रहेगा।
 आगे अप्रैल बात से गुरु का भी साथ इनको मिलेगा जो कार्य क्षेत्र में विस्तार भी देगा और नई योजनाएं ये लोग बनाएंगे।

🚌यह शनि इनके पराक्रम को बढ़ाएगा कुछ यात्राओ के योग भी रहेंगे ।

यदि काफी समय से #कर्ज को लेकर परेशान थे तो इस समय में खूब मेहनत करें उनके लिए अब कर्ज के उतारने का रास्ता बनेगा।

मेहनती लोगोंको और जिनकी कुंडली में शनि अच्छी स्थिति में है उनको आगे बढ़ने के अवसर मिलेंगे वह इस समय का पूर्ण लाभ उठाने के लिए कुंडली दिखाकर💍💎 नीली #रत्न भी धारण कर सकते हैं।

 जिससे शनि की #अनुकूलता इन्हें प्राप्त हो।

 इन्हें चाहिए कि शनि ग्रह के मंत्र जप भी यह नियमित करते रहें।

या दशरथ कृत श्री शनि #स्तोत्र का पाठ भी नियमित रूप से करें।
 इससे इनके ढाई वर्ष इन्हें भाग्य में वृद्धि और धन समृद्धि देंगे ।

👩‍🏫विद्यार्थी वर्ग के लिए भी यह समय अच्छा जाने वाला है विद्यार्थी वर्ग गणेश जी की उपासना करता रहे और अपने विषय में मेहनत करें तो उन्हें सफलता प्राप्त जरूर होगी।

जय माँ 🚩🙏     Deepti Sharma

Transit of saturn to Cancer

जय माँ भवानी🙏

लग्नानुसार #शनि के #मकर में गोचर का प्रभाव एवं उपाय

*कर्क लग्न*

 #कर्क वालों के लिए शनि सप्तम भाव में गोचर करेगा और यहां से यह तीसरी नवम भाव , लग्न और चतुर्थ भाव को देखेगा तो इन्हीं भावों को प्रभावित करते हुए शनि थोड़ा शारीरिक परेशानी दे सकता है।

🌘जिनका भी चंद्र पीड़ित है तो उनको कुछ ना कुछ दवाओं का सहारा लेना पड़ सकता है किसी न किसी प्रकार से अब शरीर में  अस्वस्थ महसूस कर सकते हैं।
इसलिए कर्क लग्न वालों को सबसे पहले आपने स्वास्थ्य की और ध्यान देना होगा।गरिष्ठ भोजन से और तेल से तले हुए भोजन का यह लोग परहेज ही रखें तो अच्छा रहेगा।
 प्राणायाम का नियम बनाएं रखना इनके लिए बहुत उत्तम होगा।

 नवम भाव जो कि भाग्य भाग है उसको अपने प्रभाव में लेते हुए शनि भाग्य में अवरोध पैदा कर सकता है जिस से कुछ कार्य में रुकावट डालेगा  और आपने स्वभाव अनुसार कार्यों में #देरी करवाएगा ।

कुछ भी नई योजनाओं के रिस्क लेने का यह समय नहीं है। परंतु चल रहे कार्य में यह मेहनत के साथ विस्तार कर सकते हैं....बस धन को रिस्क से न लगाएं।

 🏘️चतुर्थ भाव को देखते हुए शनि अपनी उच्च राशि को देख रहा है यदि यह लोग किसी प्रॉपर्टी , घर ,मकान की कोशिश में लगे हुए थे तो उनके लिए समय सकारात्मक रह सकता है।

 🚗किसी प्रकार से गाड़ी , वाहन या अपनी प्रॉपर्टी संबंधित कार्य इस गोचर से संभव हो सकता है।

👫 जिनकी विवाह नहीं हुए उनके लिए यह गोचर विवाह योग बनाने का कार्य करेगा।

 पंरतु जो विवाहित है उनके लिए थोड़ा आपसी मतभेद इस समय में हो सकता है ।

#माता के स्वास्थ्य को लेकर चिंताएं हो सकती हैं स्वयं के मनोबल को लेकर भी थोड़ा उलझनें हो सकते हैं।

जिनकी कुंडली में #शनि की और #चंद्र की स्थिति उत्तम है वे लोग इस गोचर से फायदा उठा सकते हैं उनके लिए नए कार्य बनेंगे।कहीं न कहीं शनि मेहनत तो कराएगा पर उनके योग्यता में बढ़ावा देगा जो आगे जाकर और लाभकारी रहेगी।

🚙 कर्क लग्न वाले वैसे ही यात्राओं के शौकिन होते हैं यात्राओं के योग बनेंगे ।

इस समय में कर्क वालों को सबसे अधिक ध्यान अपने #मन और शरीर का रखना है। क्योंकि चतुर्थ भाव और लग्न और कर्क राशि तीनों को अपने प्रभाव में गोचर लिए होगा तो यदि यह सही मनोबल रख कर मेहनत करते हैं तो ही सफल रहेंगे।

👩‍💻विद्यार्थी वर्ग के लिए भी यह समय थोड़ा व्यवधान पैदा करने का रहेगा।

👩‍🎓उच्च स्तर की परिक्षाओं की तैयारी में लगे हैं तो खासतौर पर यह बात ध्यान देने की रहेगी कि वह चंद्र को बल दिए रखें।क्योंकि कुछ व्यवधान उनके कार्य में आ सकते हैं।

 इस से बचाव के लिए केसर का तिलक नियमित करें।हल्दी की गांठ आपने पास रखें और  पीले रंग के पुष्प आपने पढ़ने के स्थान पर रखें।🌻🌻🌻🌼🌼🌼

कर्क लग्न वाले इस साल किसी #ज्योतिर्लिंग की यात्रा करें।
और शिवमंदिर जाकर शिवलिंग पर अभिषेक करने का नियम बनाएं।

#सुंदरकांड का पाठ मंगलवार यां शनिवार को नियमित करें।

हल्दी की गांठ धारण करें यां आपने सामने रखा करें।

शनिवार को किसी गरीब ,जरूरतमंद व्यक्ति की सेवा सहायता करें।

शनिवार को काले चने,काले उड़द और #सरसों के तेल का #दान करें तो भी अच्छा रहेगा।

जय माँ 🙏🚩  Deepti Sharma

Transit of Saturn for Leo Rashi

जय माँ भवानी🚩🙏🌼

*सिंह लग्न* :  लग्नानुसार #शनि के #मकर मे गोचर का प्रभाव
                     एवं #उपाय

अब हम #सिंह 🦁लग्न की बात करते हैं।
 सिंह लग्न में शनि मकर में गोचर करते हुए अब छठे भाव में रहेगा और यहां से यह अष्टम भाव को देखेगा और साथ ही  द्वादश और तृतीय भाव को भी दृष्टि से अपने प्रभाव मैं लेगा।

 सिंह लग्न के लिए #शनि छठे और सातवें भाव का स्वामी है तो स्वराशि होकर गोचर में आपनी राशि में होने कारण काफी प्रभावी रहने वाला है और इन भावों के प्रभाव को बढ़ाने वाला है ।
इसलिए इस गोचर से सिंह लग्न के छठा और सातवां दोनों ही भाव एक्टिव होंगे इन भावों से जुड़े #कार्य आगे बढ़ेंगे यदि कुंडली में शनि की स्थिति अच्छी है तो सुखद परिणाम इन भावों से संबंधित मिलेंगे।

काल पुरुष कुंडली अनुसार अगर हम बात करते हैं तो छटा भाव है रोग ,रिपु (शत्रुओं) और ऋण का ।

 अभी शनि यहां पर जब यहाँ पूर्ण प्रभावी होने वाला है तो यदि कुंडली में शनि की स्थिति #अच्छी होगी तो यह इन क्षेत्रों में जातक को लाभ दिलाएगा। 
षष्ठ भाव में पाप ग्रह का गोचर अक्सर  शुभ फलदायी होता है जबकि खराब सूर्य और शनि की स्थिति में रोग और शत्रुओं से सावधानी रखने की भी आवश्यकता है और शांति से चलने का समय है।

पिछले काफी समय से शनि सिंह लग्न के पंचम भाव में गोचर कर रहा था और लग्न का विपरीत ग्रह होने कारण यह कहीं ना कहीं जीवन में बाधाओं को दे रहा था और लाभ और धन संबधित कार्यों को बढ़ने से रोक रहा था ।ऐसे लोगों का धन भी तीन चार साल से कई जगह अटका हुआ होगा तो अब यह स्थिति जो है वो थोड़ा बदलने वाली है बल्कि है शनि उनके लिए अटका हुआ धन निकालने में सहयोग देगा और कुछ अचानक लाभ की भी स्थिति देगा 💰💵

अष्टम भाव को देखते हुए शनि जहां गहरी सोच समझ देगा वही अब उच्च यां बली शनि वालों के कष्टों की हानि करेगा।

 कोई नया #प्रोजेक्ट और #धन लाभ होने के अच्छे योग इस समय में बनेंगे।

जो लोग पिछलै चार पांच सालों से #ऋण की समस्या से जूझ रहे थे.....उन्हें अब इस समय से आपने प्रयत्न बढ़ाने पर ऋण उतारने का मौका लगेगा।वह इस समय में पूर्ण प्रयास से लगें।

यदि कोर्ट कचहरी के चक्कर में फंसे हैं तो अभी साल के मध्य से वह भी सुलझने के कुछ सहयोग मिलेंगे।
यह लोग शनि मंत्र का संकल्प लेकर जप करते रहें यां पाठ करते रहें तो शत्रुहन्ता हो शनि इनके लिए सहयोग देगा और विजय दिलाएगा।

सिंह लग्न के जो लोग #अविवाहित हैं उनके लिए विवाह को संबंधित योग भी  बनेंगे क्योंकि शनि सिंह लग्न का सप्तमेश है और राशि परिवर्तन करके वह अपनी ही राशि में बलि हुआ है तो उसके लिए इस समय विवाह योग बने रहेंगे ।

 विद्यार्थी वर्ग की बात करते हैं तो विद्यार्थी वर्ग के लिए यह समय अच्छा रहेगा नए कोशिश के लिए या नया सीखने के लिए और  प्रतियोगी परीक्षाओं के #सफलता के लिए समय अच्छा रहेगा।

 जो लोग व्यापार में लगे हैं उनके लिए भी इसमें समय अच्छा जाने वाला है मेहनत जरूर उन्हें एक डेढ़ साल बढ़ानी होगी पर लाभ भी मिलेगा।

जिन लोगों को विदेश यात्रा ✈️के लिए प्रयास काफी समय से हो रहा था उनके लिए भी योग बनेंगे क्योंकि शनि षष्ठ भाव से द्वादश भाव को ही सीधा दृष्ट करेगा जिस से विदेश संबंधित काम के लिए उनके लिए रास्ते खुलेंगे।
🛫किसी प्रकार से करियर संबंधित यात्रा भी उनकी विदेश के लिए हो सकती है।

यहां से शनि अपनी उच्च राशि तुला को देखेगा जो सिंह लग्न वालों के लिए तीसरा भाव है और #पराक्रम का स्थान है इसलिए काफी समय से जो हारा सा हुआ महसूस कर रहे थे सिंह लग्न वाले .........अब अपने पराक्रम को बढ़ाने का भी उनको मौका मिलेगा।
अगर शनि की स्थिति उनकी कुंडली में अच्छी है तो वे आगे बढ़ेंगे अपना #पराक्रम और अपना नाम,प्रतिष्ठा बढ़ाएंगे ।

यह लोग अपने कार्य को विस्तार दे सकते हैं।

🌡️पर सिंह लग्न वालों को वाहन चलाते थोड़ा सावधानी रखनी चाहिए।रोग, चोट को लेकर लापरवाही न बरतें।

अपने तो जिनकी कुंडली में शनि की स्थिति अच्छी नहीं है उनके लिए थोड़ी समस्याएं हो सकती हैं रोग बन सकते हैं कहीं ना कहीं कोर्ट कचहरी के चक्कर में पड़ सकते हैं यां शत्रुओं द्वारा भी परेशानी हो सकती है।

📿 इसलिए जिनकी कुंडली में शनि कि स्थिति सही नहीं उन्हें इस समय में शनि संबंधित उपाय जरूर करने चाहिए।

 📿सिंह लग्न वालों के लिए सबसे पहले जरूरी है इस समय में सामर्थ्य के अनुसार शनि संबंधित दान करते रहना।

▪️▪️इसके लिए काले चने ,काली दाल ,काली चप्पल और सरसों के तेल का दान गरीब जरूरतमंद को कर सकते हैं ।

🌞सूर्य देव को तांबे के बर्तन में जल में रोली, अक्षत (साबुत चावल) और लाल पुष्प डालकर जल अर्पित करें।
 सूर्य मंत्र "ॐ घृणि सूर्याय नमः" का जप करें ।

♣️काली और नीले रंग के कपड़ों से परहेज करें।

 हर शनिवार किसी गरीब को सेवा सहायता करें ।

🤝इस गोचर में सबसे जरूरी सिंह लग्न वालों के लिए यह है कि इस समय में किसी को भी छोटा ना समझें बल्कि  निम्न वर्ग के कर्मचारियों और श्रमिकों  को सम्मान की दृष्टि से देखें और उनके लिए सहायता करें।

 📿मंगलवार को #सुंदरकांड का पाठ करें तो लाभ होगा।

जय माँ 🚩🙏 Deepti Sharma

Friday, January 24, 2020

Importantance of D12

During my entire time of studying ajd learning jyotish I have always come around "silent jyotish masters". Silent being that they always spoke in few words even when I got consultations from them once. However amongst the 3 I managed to hear from, all 3 mentioned the same series of 3 charts to look at for people that can tell the whole life story without needed to go too deep into the divisional charts which are time sensitive. These 3 charts are:
-Raśi Chart (D1)
-Navāmśa Chart (D9)
-Dwadasāmśa Chart (D12)

They had mentioned that these 3 charts could actually say the whole life of a native without going to any other chart and the D9 specifically could be used as a chart on its own along with the D12

Some people question why they are struggling in certain time periods when they have beautifully placed planets in D1 and D9... in this case you need to search for family lineage curses in the D12 which restrict particular planets from giving desired results no matter the yoga they create. It is also said that only the D12 can be considered a real yoga breaker of other divisional charts as people relate it alot to the Pitri's. The reason for this is that if you family lineage was cursed by anyone and no one bothered to do certain rituals and remedial measures for the curse before the progeny was born, then the progeny would continue to carry this curse. Hence if you are soon to be married it is vital that you check for curses in D12 and remedy them before conceiving a child and to improve your life altogether.🙏🙏🙏

Thursday, January 23, 2020

Transit of shani bhagwan

........Transit of shani Bhagavan into
Capricorn in the year ....2020.
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1) Saturn enters into Capricorn his own sign on  " 24/1/2020 at 15.50 hrs."

2) He goes retrograde on 12.5.2020 followed by ....vakra tyag ....on 30/9/2020.

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Transit effects.....of sani dev....

1) 7 1/2 year effect to ......Sagittarius/ Capricorn/ and Aquarius .

2) Ardhastama sani to.....libra.

3) Astama sani...to Gemini.

4) 7 th saturn .....to cancer.

5) 10 th saturn....to Aries.
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.......If in jataka kundali......sani dev is well placed ....the transit effect will be moderate.

.......If not posited in auspicious houses....in the birth chart.....
the transit effect will be a bit trying.

.......if sani dasa is in operation and correlates
with the transit effect at the same time....

the native may feel the double saturn impact.
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Simple Pariharam suggested......

......Visit temple and have  darsan of shivji / Balaji / Hanumanji.

.....Recite sanidev dhyan slok or shani dev Gayatri......19 times.

......May do tailabhisekam to sanidev.

....Do parikram....19 times....around sani Bhagavan.

.....jap shani dev mantra ...."Om shanaischaraya namaha ....."108 times.

....to read regularly .....Hanuman chalisa .

.....may do fasting vrat on Saturdays.

....Help the poor,old and handicapped persons.
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The simple remedies suggested.....above......if followed.....

.....one gets relief out of likely danger /  fear .....besides getting considerable
protection.
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Jai shani Bhagavan.

Tuesday, January 21, 2020

Maha Raja Yoga

Grahas in Kendra have certain Sakti

Chapter 7 of Phaladeepika - First Shaloka

1. The native becomes a widely renowned king if at birth
  •  if he has three or more planets in their signs of exaltation or in their own signs posited in a kendra (without FTW)
  •  Even one born in an ordinary family becomes a ruler of the earth possessing bands of elephants and horses, if five or more planets be posited in a kendra in their signs of exaltation or in their own sign*.
Shloka 48 Raj Yoga chapter in BPHS - Last Shaloka

48. If all benefics are relegated to Kendras, while malefics are in 3rd, 6th and 11th House, the native, though may be of mean descent, will ascend the throne.

Why the last yoga is important. Upkarma/Upsamhara (introduction and conclusion).

Benefics in Kendra:

BPHS - Chapter 7


21. If 10ths Lord, placed in his own House, or in its exaltation Rāśi, gives a Aspect to Lagna, a Raja Yoga is formed. Similar is the case, if benefics are in Kendras.
  •  simplified way of reading (if the 10th lord is placed in his own house or in exaltation, aspect the ascendant is a raj yoga)

47. Even, if one among Jupiter, Venus and Mercury is in exaltation, while a benefic is in a Kendr, the native will become a king, or be equal to him. (note this does not require exalted one in Kendra)
  • simplified way of reading (any of the natural benefic -JP, VE, ME exalted while another natural benefic is in lagna. Note this does not require exalted one in lagna

11. One will be related to royal circles, if Venus is the Karakāńś, or in the 5th there from, or in Lagna, or in Arudh Lagna, receiving a Aspect from, or conjunct with Jupiter, or Moon
  •  simplified way of reading - Venus in Uday Lagna, associated or aspected by Jupiter or Moon


Phaladeepika - Chpter 7 vs 20

20. Four Yogas are described in this Verse which are as follows —

 (a) If Venus is aspected by Jupiter a person born in a royal family becomes a King.
(b) If Jupiter occupies a sign other than Capricorn identical with Lagna, the native becomes a King with many elephants under his charge. (that is Jupiter in Lagna but not in Capricorn)
(c) A King will be born if in a nativity the lord of the Lagna vested with full strength occupies a Kendra. (that is faultless strong lagna lord in Kendra)
 (d) If at birth Mercury with full strength is posited in Kendra and is aspected by Jupiter, the native becomes so influential that the Kings act according to his advice. (That is faultless strong Mercury in Kendra aspected by Jupiter) - Shudh Bhuddhi


BPHS Chapter 7

9-10. Should there be benefics in the 2nd, the 4th and the 5th, counted either from Lagnas Lord, or from Atma Karak Rāśi, one will become a king. Similarly malefics in the 3rd and 6th from Lagnas Lord, or from Atma Karak Rāśi will make one a king.

17. If Lagna, 2nd and 4th House are occupied by benefics, while a malefic is in 3rd House, one will become a king, or equal to a king.

Phal Deepika  - Chapter 7 Vs 24

 Malefics posited in the 3rd, 6th and 11th house counted from. The house occupied by the lord of Lagna, Moon or from the Lagna.

BPHS - Chapter 7

Vs 10 Similarly malefics in the 3rd and 6th from Lagnas Lord, or from Atma Karak Rāśi will make one a king.

Yogas Organized around the Moon


Phal Depika - Chapter 7 vs 7

When at birth the Moon is brilliant with white luster and is aspected by planet disposed in his own sign or his sign of exaltation, even the person whose legitimacy is questionable, will become a king.
that is full moon aspected by a swa or exalted grah

Phal Deepika - chapter 7 

22. There are again two Raja Yogas in this verse as described below: — (1) Should the Moon with full rays be in Pisces aspected by a friendly planet, the native will become a king with pre-eminent position and delighting the world. (2) Should the Moon be full and be in his sign of exaltation the native will become a very generous, charitable and praiseworthy King.


11. If the Moon brilliant with disc resembling nectar and lotus stalk in color (i.e. the full Moon) occupies a Navamsa owned by the Sun and benefics unassociated with malefics occupy kendra, the person born will become a king owning many elephants


BPHS Chapter 7

44. If one, or two, or three Planets are in exaltation, one of a royal scion will become a king, while another will be equal to a king, or be wealthy.

45. If four, or five Planets occupy their exaltation Rāśis, or Moolatrikona Rāśis, even a person of base birth will become king.

Phal Deepika - 

3. Even a single planet, even if he be in debilitation, is capable of making a person equal to a king, if not being posited in Dusthana (6th. 8th or 12th) or combust and be possessed of brilliant rays and be in retrograte motion. If three or more planets be so disposed, the native becomes a king. If there are many planets posited in auspicious houses and Navamsas. the native will become a king endowed with the inslgnias of royalty such as crown, umbrella and waving chowries. Check in multiple amsas.

4. The native belonging to royal family becomes victorious every where if at his birth two or more planets are endowed with Digbala.




Timing of Getting job